Muharram 2021 मुहर्रम कब है | मुहर्रम किसके याद में मनाया जाता है | Muharram History

Muharram, जिस प्रकार हिंदू धर्म में होलिका दहन के अगली सुबह से हिंदी महीना शुरू होते हैं उसी प्रकार इस्लाम धर्म में भी एक इस्लामिक कैलेंडर होता है जिसका प्रथम महीना Muharram है इस बार मुहर्रम की शुरुवात 11 अगस्त से शुरु हो गई जो की 20 अगस्त तक चलेगा इस्लाम धर्म में चार पवित्र महीना होते हैं उन्हीं में से एक है मुहर्रम इसे हिजरी भी कहा जाता है।
इस्लामिक कलैैैैंडर

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  1. मुहर्रम
  2. सफ़र
  3. रबी अल अव्वल
  4. रबी अल थानी
  5. जमाद अल अव्वल
  6. जमाद अल थानी
  7. रज्जब
  8. शआबान
  9. रमजान
  10. शव्वाल
  11. जु अल कादा
  12. जु अल हज्जा

Muharram 2021 क्यों मनाया जाता है ? इसकी शुरवात कब और कैसे हुई ? Muharram History

Muharram karbla pic
कर्बला

Muharam का अर्थ होता है हराम यानी निषिद्ध (युद्ध या बैर किसी से नहीं करना) बताया जाता है की मुहर्रम महीने के 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम (मातम का पर्व) मनाया जाता है इस दिन हजरत इमाम हुसैन को मानने वाले लोग अपने आप को शारीरिक कष्ट देते हुए उन्हें याद करते हैं और दुनियाभर के शिया समुदाय के मुस्लमान इस पर्व को मानते हैं।

Muharam की शुरुआत 10 अक्टूबर 680 ई० (10 मुहर्रम 61 हिजरी) से हुई. इस दिन से ही मुहर्रम (मातम का पर्व) की शुरुआत मानी जाती है। बताया जाता है कि जब इस्लाम धर्म पर खलीफा का राज था तो ये खलीफा पूरी दुनिया के मुसलमानों का प्रमुख नेता होते थे जो वो फरमान जारी करते उसे पूरी दुनिया के मुस्लमान मानते थे खलीफा का चुनाव आपसी रजामंदी से कर दी जाती थी।

कुछ वर्षों बाद सीरिया के गवर्नर यजीद ने बिना चुनाव के खुद को मुसलमानों का खलीफा घोषित कर दिया वो एक बहुत ही क्रू गवर्नर था तब इमाम हुसैन ने यजीद को खलीफा मानने से इंकार कर दिया जिससे नाराज विद ने अपने राज्यपाल को आदेश दिया की ईमाम हुसैन से ये मनवाया जाए की यजीद हीं खलीफा है नहीं तो उसका सिर कलम (कत्ल करना) कर मेरे पास लाया जाए।

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राज्यपाल ने यजीद की बात मानते हुए हुसैन को समझाने की कोशिश की लेकिन हुसैन ने साफ मना करते हुए कहा की “मैं एक व्याभिचारी,भ्रष्टाचारी और खुदा को न मानने वाले यजीद का आदेश नहीं मानूंगा“।

यजीद के आदेश के अनुसार राज्यपाल को हुसैन को कत्ल कर उसका सिर ले जाना था तो राज्यपाल ने हुसैन के पीछे आदमी लगा दिया की उसे मार डालो लेकिन इसी बीच हुसैन अपने पूरे परिवार के साथ मक्का हज करने गए लेकिन इधर राज्यपाल ने अपने आदमियों को यात्री बनाकर हुसैन की हत्या करने के लिए साथ भेज दिया जिसके बारे में हुसैन को पता चला तो उन्होंने मक्का में खून खराबा न हो इसलिए हज के बजाय उमरा (हज की छोटी प्रथा) करके वापस अपने घर लौट गए।


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Muharram JAMA masjid
जमा मस्जिद

Muharram महीने के 2 तारीख को अपने परिवार के कर्बला में थे और उन्होंने यजदी की सेना को सही रास्ते पर चलने के लिए मुहर्रम महीने के 9 तारीख समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उनलोगों नहीं मानी फिर हुसैन ने यजीद की सेना से कहा की मुझे एक रात का समय दो ताकि मैं खुदा से फरियाद कर सकूं। अगले दिन हुसैन के 72 लोगों (जो हुसैन के पक्ष में थे) को मार दिया गया अब सिर्फ हुसैन ही अकेले बच गए थे।

हजरत इमाम हुसैन का एक बच्चा था जो लगभग 6 माह का होगा उसे बहत तेज प्यास लगी थी तो वो रो रहा था हुसैन ने यजीद की सेना से बच्चे के लिए पानी मांगा जो यजीद की सेना ने नहीं दिया जिसके कारण हुसैन के बाहों में उनका बच्चा दम तोड़ दिया और इसके बाद हुसैन को भी यजीद की सेना ने कत्ल कर दिया। उसी दिन से मानवता के लिए दिए गए बलिदान के तौर पर उन्हें मुहर्रम माह के 10 तारीख को उनकी शहादत को याद किया जाता है।

Muharram 2021 में ताजिया जुलूस कब से शुरु हुआ ?

Muharram जुलूस ताजिया
ताजिया जुलूस

इतिहास के अनुसार 12वीं शताब्दी में गुलाम वंश दिल्ली की गद्दी पर पहली बार अधिपत्य जमाया और कुतुब उद दीन ऐबक दिल्ली की गद्दी पर बैठा था इन्होंने हीं Muharam में ताजिया जुलूस दिल्ली में निकलवाया था तब से ही ये परंपरा जारी है और पूरे भारत में शिया मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रम माह के 10 तारीख को ताजिया जुलूस निकालते हैं और इमामबाड़ों पर जाकर मातम मानते हैं। पूरे भारत में लखनऊ मुहर्रम ताजिया जुलूस का केंद्र बना रहता है।

Muharram 2021 Hindi WhatsApp Status

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  1. कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,
    उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,
    यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन
    हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज हैै।

2. न हिला पाया वो रब की मैहर को भले जात गया वो कायर जंग पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ वही था असली और सच्चा पैगम्बर।

3. फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है,
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।

4. क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।

5. कत्ले हुसैन असल में मर्गे यजीद है,
इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।

6. मिट्टी में मिल गया था इरादा यजीद काा,
लहरा रहा है परचम अब भी हुसैन का।

7. मेरी खुशियों का सफर गम से शुरू होता है,
मेरा हर साल मुहर्रम से शुरू होता हैै।

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