आज जिस तरह से अफ़ग़निस्तान में Taliban History ने बेगुनाह लोगों पर जो जुल्म ढा रहा है वो बहुत ही शर्म की बात है आफगानिस्तान की भोली भाली जनता आज भुखमरी, बेबसी और लाचारी के कारण अपना इज्जत भी बचा नहीं पा रही है सरकार भी मदद नहीं कर पा रही है क्योंकि सरकार खुद उन दरिंदों के सामने घुटने टेक दिए हैं तो आइए जानते हैं की Taliban History के बारे में…
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तालिबान का संपूर्ण इतिहास (Taliban History)
Taliban History को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा जब महाराजा रंजीत सिंह जी थे उस समय की बात है की अफगान और अंग्रेजों के बीच जब तीसरी बार लड़ाई हुई और अफगानों ने अंग्रेजों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया तब से ही लगभग तालिबान का बीज बो दिया गया था इसके बाद उस समय अफगानिस्तान पर राजाओं का राज कायम था और उस समय का तत्कालीन राजा जाहिर शाह थे।
बताया जाता है की 1973 ई० में अफ़ग़निस्तान में तख्ता पलट कर दी गई और वहां एक राजनीतिक पार्टी PDPA बनकर सता में काबिज हुई और दाऊद खां को अफ़ग़निस्तान की गद्दी पर बैठाया गया। जो राजनीतिक PDPA थी वो ज्यादा दिन नहीं चली और वो खलक और परचम दो भागों में बट गई ये दोनों अफ़ग़निस्तान में समाचार पत्र एजेंसी थी।
खलक और परचम दोनों एक दूसरे के विपरित विचार धारा के थे खलक जहां आधुनिक विचार से इस्तेफाक रखता तो परचम पुराने ख्यालों में ज्यादा विश्वास रखती थी जिसके कारण एक दूसरे के कामों में अड़चन आ जाती परचम ने 17 अप्रैल 1978 को खलक के मीर अकबर की हत्या कर दी जिससे अफ़ग़निस्तान की राजनीति में उथल पुथल मच गई। फिर 1979 में सोवियत संघ के हस्तक्षेप के बाद पुनः PDPA सरकार स्थापित हुई। भारत आजाद कैसे हुआ जरूर पढ़ें
अफ़ग़निस्तान में सोवियत संघ के सहयोग से विकास का कार्य शुरू किए गए स्कूल,कॉलेज,अस्पताल आदि का निर्माण किया जाने लगा लोगों को धीरे धीरे आजादी मिलने लगी। सोवियत संघ क्मूनिस्ट विचारधारा से जुड़े हुए थे जो अफ़ग़निस्तान के लोगों को पसंद नहीं था वो नहीं चाहते थे की बाहरी विचार को अफ़ग़निस्तान में लाया जा इसलिए जो भी विकास का कार्य किए जा रहे थे।
उसका अफगानों ने विरोध करना शुरू कर दिया और 1979 से 1989 तक सोवियत समर्थित सरकार और अफ़गानी लोगों के बीच Civil War चलता रहा अफ़गानी लोगों का सहयोग अमेरिका की तरफ से की जा रही थी उस समय के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रॉलन ड्रिगन के साथ अफ़गानी लोगों के साथ एक फोटो भी ये बयां करती है की अमेरिका नहीं चाहता था की सोवियत संघ अफ़ग़निस्तान में रहे और यहां की सता में अपना योगदान दे अंत में सोवियत संघ वापस लौट गया।
अफ़ग़निस्तान में तालिबान का उदय (Taliban History)
अफ़ग़निस्तान से जब सोवियत संघ वापस लौटने के बाद अफ़गान लोग आपस में लड़ने लगे जिससे आम लोगों को ज्यादा परेशानी बढ़ गई तब मुला मोहमद कुमार जो की एक मदरसे का शिक्षक था उसने 50 छात्रों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जिसका नाम तालेबान जो बाद में तालिबान हो गया। इन 50 छात्रों ने एक माह में 15000 छात्रों के अपने साथ जोड़ लिया और इन सब की उम्र बेहद ही कम था।
इस संगठन का निर्माण लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से बनाया गया था फिर धीरे धीरे अमेरिका के सहयोग से इस संगठन ने अफ़ग़निस्तान की जो सीमावर्ती क्षेत्र थे जो दूसरे लोग कब्जा कर लिए थे उनपर अपना कब्जा जमाया धीरे धीरे इनका मनोबल बढ़ने लगा तो पेट्रोलियम,नेचुरल गैस, OPM(ड्रग्स) आदि का सबसे बड़ा भंडार अफ़ग़निस्तान में है जिसपर अपना आधिपत्य जमाने लगा और सरकार को इन सब से दूर करने लगा इन सब में अभी तक अमेरिका साथ दे रहा था और अब पाकिस्तान की ISI भी इनको अपने कैंप में लाकर ट्रेनिग देनी शुरू कर दिया था। कर्बला की जंग और मुहर्रम का इतिहास ज़रुर पढ़ें
अफ़गानी लोग जो सरकार के खिलाफ थे वो अब तालिबानी बन गए थे उनका मनोबल बढ़ता गया उनके मन में ये समझ में आ गया की हम सब एक हो जाते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं तब तालिबानियों ने सरकार पर धावा बोल दिया और 1996 में अफ़ग़निस्तान के लगभग 400 शहरों में से 100 प्रमुख शहरों पर तालिबान कब्जा जमा चुके थे और फिर 26 सितंबर 1996 को कबूल पर अटैक किया गया और अफ़ग़निस्तान की सरकार को तालिबानियों ने हटा दिया और अपना कब्जा जमा लिया।
अमेरीका का तालिबानियों पर हमला (Taliban History)
जब ओसामा बिन लादेन ने फरमान जारी किया की अमेरिका मुस्लिम देश से हट जाए तो अमेरिका अपने सैनिकों को वापस अपने देश बुला लिया था इसके बाद अलकायदा के नेतृत्व में 11 सितंबर 2001 को अलकायदा के 19 जिहादियों ने 4 प्लेन जो यात्रियों से भरे थे उन्हें अगवा कर अमेरिका के दो सबसे इमारतों से जाकर प्लेन को टकरा दिया जिससे अमेरिका को बहुत नुकसान हुआ और करीब 3000 लोग मारे गए।
इस हमले की जांच में पता चला की ओसामा बिन लादेन मुख्य रूप से इसमें सम्मिलित है जो इस हमले के बाद अफ़ग़निस्तान के तालिबानियों ने इसे छुपाया है जिसे अमेरिका ने मांगा लेकिन वो लादेन को नहीं दे पाए तो अमेरिका ने तालिबानियों पर बम बरसाने लगा और फिर लादेन ने पाकिस्तान चला गया जहां उसको खोज कर मार दिया गया लेकिन अमेरिका अभी अभी तालिबानियों को मारने के लिए वहां थी।
अमेरिका तालिबान से अफ़ग़निस्तान की सता से बेदखल कर वहां अफ़गानी सरकार बनाने में कामयाब हुआ तब से लेकर लगभग अप्रैल 2021 तक अमेरिका अपनी सैनिक को अफ़ग़निस्तान में तैनात किए रहा। लेकिन अब अमेरिका अपनी सैनिक को बुला लिया जिसके बाद तालिबानियों ने अपना वर्जस्व बढ़ान लगा और अफ़ग़निस्तान के लगभग 10 प्रांतों में तालिबानी का कब्जा हो गया है वहां होने वाले विकास सब रुक गए हैं और बेगुनाहों पर तालिबानियों ने अत्याचार की चर्म सीमा पर कर दिया है।
जानकारों का मानना है की अगर इसी तरह चलता रहा तो एक बार फिर कबूल पर तालिबानियों का कब्जा हो जायेगा और वहां की सरकार को उखाड़ फेक दिया जा सकता है।
Taliban का उद्देश्य (Taliban History)
Taliban का उद्देश्य (Motto) है तालिबान सीरिया कानून को मानता है उसके अनुसार ही सब कुछ चलाने की कोशिश कर रहा है वो आधुनिक सुविधा या पढ़ने लिखने में विश्वास नहीं रखता है उसे निम्न बिंदुओं से समझते हैं…
- पुरुषों को दाढ़ी मूछ नहीं काटना और महिलाओ को हमेशा बुर्का में रहना और बिना किसी पुरष के घर से बाहर नहीं जाना।
- कोई भी मनोरंजन का साधन उपयोग नहीं करना और 10 वर्ष के बाद लड़कियों को स्कूल नहीं जाना।
- अस्पताल, स्कूल, कॉलेज इत्यादि को नहीं बनने देना।
- इन सब को मनवाना वही तालिबानियों का उद्देश्य है।
अफ़ग़निस्तान में तालिबानी सजा (Taliban History)
तालिबानी इलाका में जो लोग शरीयत के मुताबिक नहीं रहते हैं उनको सजा भी शरीयत के अनुसार हीं तालिबान देता है वहां की महिलाओ को पुरषों के अपेक्षा ज्यादा दायरे में रहना पड़ता है जिसके कारण एक सर्वे में पता चला है कि 90% महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं अफ़ग़निस्तान में तालिबानी सजा जो दी जाती है वो निम्न हैं…
- घर में गर्ल्स स्कूल चलाने वाली महिला को उनके परिवार के सामने गोली मर देना ।
- प्रेमी के साथ जाने पर पत्थर से मरना और मृत्यु देना।
- महिला को शरीर का अंग दिख जाने पर उन्हें मौत की सजा देना।
- महिला रोगी को पुरुष डॉक्टर चेकअप करता है तो महिला को मार देना।
- इस तरह के कोई भी अगर गलती होती है तो उन्हें सजा मौत हो दी जाती है ये तालिबान सजा।
Rashid Khan अफ़ग़निस्तान क्रिकेटर का अपील
Rashid Khan जो की अफ़ग़निस्तान क्रिकेट बोर्ड के No1 गेंदबाज हैं उन्होंने भी अपने Twitter Handle से अपने देश की स्थिति पर चिंता जाहिर की है और दुनिया भर के तमाम देशों से मदद की गुहार लगाई है।
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