Unchahi Beti । अनचाही बेटी की मार्मिक कहानी Part-02

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आज मैं अपने कहानी Unchahi Beti अनचाही बेटी की मार्मिक कहानी पार्ट -2 लेकर आया हूं आप सब पहले पार्ट की तरह इसे भी अपना आशीर्वाद दीजियेगा।

Unchahi Beti (Unwanted Daughter) अनचाही बेटी की कहानी

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कहानी अब 23 वर्ष बाद की है, रघु की भी उम्र लगभग 55 वर्ष हो गई है और सब कुछ बदल सा गया है, इधर रघु ने जिस व्यक्ति को अपनी बेटी दी थी उसका नाम अशोक है और जिस लड़की को अशोक ने अपनी औलाद की तरह पाला, उसका नाम उर्वशी है।

उर्वशी अपने ऑफिस जाने से पहले अपने पिता अशोक की नाश्ता और दवाई खिला कर जाती है क्यूंकि उर्वशी की मां की मृत्यु हो गई तो अपने पिता का ख्याल उर्वशी को ही रखना पड़ता है घर में और भी नौकर लोग हैं लेकिन उर्वशी पिता का ख्याल खुद ही रखती है उस दिन भी उर्वशी ने अपने पिता को दवाई खिलाई और ऑफिस के लिए निकल गई ।

ऑफिस से जब घर आ रही थी तो रास्ते में लोगों की भीड़ लगी हुई थी उर्वशी अपनी गाड़ी रोकवाती है और भीड़ के पास जाती है तो देखती है की एक बूढ़ा आदमी जख्मी हुआ है उसने उस व्यक्ति को उठाया और पूछा की ज्यादा चोट तो नहीं उस व्यक्ति नहीं कहा की नहीं मैं ठीक हूं फिर भी उसने गाड़ी में बैठा कर घर लाती है और इसका First Aid करती है, उर्वशीअपने नौकरों से पूछती है की पापा कहां है नौकर लोग बताता है की घूमने गए हैं।

ये भी पढ़े👉 अनचाही बेटी की कहानी भाग १ पढ़ने के लिए क्लिक करें

कुछ देर बाद जब अशोक घूम कर घर आते हैं तो देखते हैं की उनके आंगन जो सोफ़ा लगा हुआ है उसपर वही व्यक्ति है जो 23 साल पहले उर्वशी को छोड़ कर गया था दोनों ने एक दूसरे को देखते हीं आश्चर्यचकित हो जाते हैं और दोनों लोग एक साथ बोले आप यहां कैसे ? इसपर उर्वशी बोलती है की आप दोनों एक दूसरे को जानते हो। इसपर अशोक बोलते हैं कि हां एक बार मुलाकात हुई थी अब तीनों लोग के साथ बातचीत होती है….


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unwanted daughter unchahi beti 2
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रघु – भाई साहब उस दिन जल्दी जल्दी में आपका नाम भी जान पाया।

अशोक – मेरा नाम अशोक है और आपका।

रघु – जी रघु.उर्वशी – पापा ये कौन हैं? और आप कैसे जानते हैं ?

अशोक – रघु से, और सब कैसा है घर में तो सब ठीक है न।

रघु – क्या कहुं भाई साहब बेटे की चाहत में क्या नहीं किया और आज बेटा ही घर से बाहर कर दिया। मेरे लाड प्यार ने उसे इतना बिगाड़ दिया की वो गलत संगत पकड़ कर सभी तरह के नशा करने लगा। वो तो शुक्र है मेरी बड़ी बेटी की जिसने हम सब को संभाला है।

अशोक – बहुत गलत हुआ आपके साथ।

उर्वशी – हां, लेकिन पापा आप बताएं नहीं की ये कौन हैं?

अशोक – तुम्हे हमने पहले ही बताया था की मैं तुम्हारा बाप नहीं हूं बल्कि।

उर्वशी – इतना सुनते ही गुस्सा से लाल हो गई और बोली की मैं इनकी Unchahi Beti (Unwanted Daughter) थी तो अब मेरे लिए ये भी अनचाहे पिता हैं में इनकी कोई बेटी नहीं हूं।

रघु – अपना सिर नीचे कर सब सुनता है और अपने किए पर मन ही मन रोता है।

उर्वशी – इस दुनिया में अगर मेरी कोई परिवार या मम्मी पापा हैं तो वो सिर्फ आप है और कोई नहीं।

रघु – इतना सुनने के बाद उर्वशी के सिर पर हाथ फेरता है घर से बाहर जाने लगता है।

अशोक – रघु को रुको भाई साहब, उर्वशी की ओर देखते हुए मैने यही सिखाया है तुम्हे की कैसे बड़ो के साथ बात करनी चाहिए।

उर्वशी – अपना सिर नीचे करती है और उदास हो जाती है।

रघु – मैंने जो किया वो माफी के काबिल नहीं है और न ही मैं तुम्हारा पिता कहलाने योग्य हूं।

उर्वशी – एक कहावत है “जो भी होता है वो सही के लिए होता है” आप अगर मुझे पापा(अशोक) के पास नहीं छोड़ते तो शायद मुझे इतनी अच्छी परवरिश नहीं मिलती और न ही मैं जिले की मालिक (District Magistrate) बन पाती, आपने जो किया वो सही किया।

रघु – हां मैं तुम्हे इतनी अच्छी परवरिश नहीं दे पाता। इतना कहकर घर से निकल जाता है।उर्वशी – अपने पापा (अशोक) से कहती है की इस जन्म में मैं सिर्फ आपकी बेटी और आप मेरे पिता ही रहेंगे कोई नहीं मेरा पिता हो सकता है।

अशोक – ठीक है बेटा, लेकिन रहना तो अकेला ही है पूरी जिंदगी।उर्वशी – क्यूं मैं हूं न तो आप अकेले कैसे हैं?

अशोक – जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो तुम तो छोड़ के ही जायोगी।

उर्वशी – मैं वैसे लड़के से ही शादी करूंगी जो आपको साथ रखेगा या यहीं रहेगा नहीं तो मैं शादी नहीं करूंगी।

दोनों ठहाके मार कर हसने लगते हैं इस तरह Unwanted Daughter या Unchahi Beti की कहानी समाप्त होती है।

Unchahi Beti इस कहानी से हमें क्या सीख लेना चाहिए??

Unchahi Beti इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है की बेटी हो या बेटा दोनों को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि बेटियां भी किसी बेटा से कम नहीं हैं। हम सब को रानी लक्ष्मीबाई,कल्पना चावला, मिथाली राज इत्यादि बहुत देश की बेटियां हुई जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया और अपने परिवार का भी नाम रोशन किया। इस लिए हम सब को बेटियों को बेटा के बराबर प्यार और परवरिश देना चाहिए तभी इस देश और दुनिया से बेटी नाम का खौफ समाप्त हो पाएगा।

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