नमस्कार दोस्तों,
आज मैं आप सब को पटना वाले खान सर के बारे में कुछ जानकारी दूंगा जिसे आज तक आप भी जानते होगें. Khan Sir Controversy पटना वाले खान सर का पूरा नाम
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Khan Sir शिक्षक कैसे बने ??
खान सर का लक्ष्य था भारतीय सेना में भर्ती होना लेकिन किसी कारण वस उनका चयन नही हो पाया लगातार कोशिश की लेकिन बार बार एक ही परिणाम मिलता था वो अपने घर में गुमशुम रहने लगे फिर उन्होंने अपने घर और आस-पास के बच्चों को टाइम पास करने के लिए पढ़ाने लगे. तब उनके मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई क्यों न मैं इसी क्षेत्र में सेवा करूं फिर भी उनका दिल सेना के लिए ही धड़कता रहा लेकिन अब वो शिक्षक बन कर देश की सेवा करना चाहते थे तब उन्होंने पटना(बिहार) आए और एक कोचिंग संस्थान में General Science पढ़ाने के लिए गए वहां बच्चे तो बहुत थे लेकिन शिक्षक की कमी के कारण लगातार बच्चों की संख्या कम होती जा रही थी ऐसे में खान सर की Entry होती है और देखते ही देखते उस कोचिंग में संख्या इतनी बढ़ गई की जगह कम पड़ने लगा.
खान सर का खान नाम कैसे पड़ा ??
उस कोचिंग संचालक को ये डर सताने लगा की ये शिक्षक किसी कारण वस यहां नही पढ़ता है तो बच्चे भाग जायेंगे इससे बचने के लिए संचालक ने खान सर को अपना पूरा नाम और फोन नंबर बताने से मना कर दिया और उस संचालक ने भी सिर्फ नाम का टाईटल बताने को कहा तब से वो खान सर के नाम से जाना जाने लगे.
खान सर मशहूर कब और कैसे हुए ??
खान सर के साथ भी कोचिंग संचालकों ने बहुत गलत किया जहां भी पढ़ाया इन्होंने वहां धोखा ही मिला इनके कारण कोचिंग की नाम और आमदनी में बढ़ोतरी होती गई लेकिन इनका मजदूरी भी लोग नहीं दिए. एक बार आलम ये हुई की इनके पास घर वापस लौटने के पैसे तक संचालकों ने नहीं दिया, तब उन्होंने ये संकल्प किया की अब घर नहीं लौटूंगा और अकेला ही मेहनत करूंगा
खान सर का पूरा नाम क्या है ??
खान सर का पूरा नाम अभी तक किसी को पता नहीं है जो भी लोग दवा करते हैं की मैं उनका चाचा ,दादा या दोस्त हूँ वो सब जूथ बोलते हैं उनका नाम न तो अमित सिंह है और ना हीं फैजल खान उनका नाम का सुरुवाती अक्षर M है बाकि पूरा नाम फिलहाल किसी को नहीं पत।
Khan GS Research Center Patna With Khan Sir (Khan Sir Controversy)
मुसल्लहपुर हाट पटना में Khan GS Research Center के नाम से कोचिंग खोली और उसमें अकेला ही बच्चों को पढ़ाने लगे धीरे धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी जगह कम पड़ने लगा तब उसी बिल्डिंग में ऊपरी मंजिल पर कोचिंग को स्थांतरित किए और बच्चों की संख्या बढ़ती चली गई अब बुरे दिन खान सर के समाप्त हो रहे थे की देश में कोरोना जैसे महामारी फैल गई.
जिसके कारण पूरे देश में Lockdown लगा दिया गया जिसके कारण कोचिंग संस्थान बंद करने पड़े. बच्चों को पढ़ना भी था तो उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाने का निर्णय लिया और एक Khan GS Research Center के नाम से Application Develop करवाया और पढ़ाने लगे इसीक्रम में उन्होंने Free में YouTube पर वीडियो बनानी शुरू कर दिया जिसके कारण लाखों गरीब लोगों की भला हो रहा है. जब से YouTube पर आए तब से पूरे विश्व में अपने नाम की डंका बजा दिए क्योंकि वो बच्चों को सरल से सरल उदाहरण देकर बच्चों को समझते और मजाक करते-करते पूरे पाठ्यक्रम को खत्म कर देते हैं जिसके कारण लगातार वो सुर्खियों में बने रहे. इसी मेहनत और परिश्रम के कारण YouTube ने Top10 में जगह दी थी जो किसी भी Education Channel को नहीं मिला है.
खान सर जाति-धर्म का शिकार हुए Khan Sir Controversy
एक सच्चा शिक्षक वही होता है जो जाति,धर्म और समुदाय से अलग रहता हो और खान सर भी यही कर रहे हैं जो कुछ असामाजिक तत्वों को पच नहीं पा रहा है खान सर एक शिक्षक होने के नाते सरस्वती की पूजा करते हैं और एक भाई होने के नाते रक्षाबंधन भी मानते हैं जो यह दर्शाता है की इस व्यक्ति के अंदर कोई भी जातिवाद,धर्मवाद का स्थान नहीं है इसी बात से असमाजिक तत्व इनका विरोध कर रहे हैं.
खान सर का संक्षिप्त परिचय Khan Sir Controversy
खान सर के सहयोगी शिक्षक महेंद्र सागर के अनुसार उनका पैतृक स्थान उत्तरप्रदेश के जिला देवरिया के भाटपाररानी के रहने वाले हैं उनके पिता का नाम वसीर खान है इनकी शिक्षा प्राथमिक से आठवीं की परमार मिशन स्कूल देवरिया और स्नातक की पढाई मालवीया कॉलेज देवरिया से किए हैं उनका पूरा नाम फैजल खान है.
मैं उन लोगों को एक बात बोलना चाहता हूं की क्यूं देश में नफरत फैला रहे हो बनाना है तो इस शिक्षक जैसा बनो जो अपने धर्म को Indian और जाति को Teacher बताता है किसी की भी बच्चा हो सभी को अपना भाई समझता है जो देश और देशवासी की बात करता हो कैसे आप से कुछ छुपा सकता है इन सब से दूर रहकर हमसब को उनके द्वारा दिया जा रहा ज्ञान को ग्रहण करने की आवश्यकता है. हम लोगों को कबीर दास की वो दोहा याद करनी चाहिए
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान;
मोल करो तलवार की पड़ा रहने दो म्यान.
बाबा कबीर
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