Ujjain Rape Case महाकाल की नगरी में शर्म और बेबसी के 2.5 घंटे

Ujjain Rape Case: मानवता को कलंकित करने वाले एक ख़बर यह दिखला दिया की हमारा संस्कार और संस्कृति दोनों अब समाप्त होने के कगार पर है हे ईश्वर देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई.

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Ujjain Rape Case मानवता हुआ शर्मसार

Ujjain Rape Case
Ujjain Rape Case

आज की कहानी बहुत हीं उदासी के साथ आप सब के बीच ला रहा हूं मेरा मन इतना कुंठित है इस ख़बर को सुन कर की मैं क्या आप सब को बताऊं. मध्यप्रदेश के उज्जैन की यह घटना है एक 12 साल की लड़की के साथ अमानवीय कृत्य हुए जिसके निजी अंगों से खून प्रवाहित हो रहे हैं वो लड़की जब 8 किलोमीटर की दूरी तय कर लेती हैं तब उसे कोई मदद करता है.

इस दरमियान 500 से ज्यादा घरों,

हम कहां जा रहे हैं अपने संस्कृति और समाज को लेकर कोई जानता है.

कार्टून समाज के मुंह पर तमाचा है। वो बच्ची महज 12 साल की है। वहशियों ने दरिदों ने उसकी जो हालत की है, उसे सुनकर खून खौल रहा है। अरे ओ उज्जैनवालो कहां मर गई थी तुम्हारी इंसानियत! उस अर्धनग्न बच्ची को कपड़ो तो पहना देते। ये तस्वीर हमारे समाज पर ऐसा धब्बा है, ऐसा नासूर है जो कभी नहीं मिट पाएगा। उस बच्ची की चीखें, उसके रोने की आवाजें कलियुग के सीने को चीर रही हैं।

धर्म की नगरी उज्जैन में इस अधर्म को देख ईश्वर की आंखों में भी आंसू आ गए होंगे। आखिर इस 12 साल की बच्ची का क्या दोष था? कहीं खेलने गई होगी, किसी दोस्त से मिलने गई होगी। उन वहशी दरिंदो ने इस नाबालिग के साथ जो हरकत की है, उसकी सजा तो केवल मौत हो सकती है। लेकिन इस सबसे पहले उन गलियों और मोहल्ले में रहने वाले उन लोगों का क्या? जिनके दिल में इंसानित मर गई थी। उन गलियों में पानी से बच्ची के जिस्म से निकले खून तो धो देंगे लेकिन इस दाग को क्या धुल पाएंगे?

संदीप अध्वर्यु ने अपने कार्टून की हेडिंग में लिखा है। 12 साल की लड़की। रेप और खून से लथपथ। मदद मांग रही थी। उज्जैन के स्थानीय लोगों ने उसकी मदद नहीं की। हे राम। आखिर ये समाज क्या मुंह दिखाएगा। इस बेटी के साथ वहशीपना करने वाला दरिंदा दो गिरफ्तार हो गया है लेकिन समाज ने जो अपना रूप दिखाया है उसका क्या? उस बच्ची जेहन में जो घाव बना है, उसका क्या? जिन चांद और मगंल मिशन के लिए हम महिलाओं की वीरता की गाथा गा रहे हैं, क्या वो महिलाएं इस घटना से दुखी नहीं होगी। आखिर क्यों? आखिर क्यों? किसी ने दरवाजा तक नहीं खोला। ये खून के धब्बे हमारे समाज पर एक ऐसा दाग लगा दिया है, जिसकी हम भरपाई नहीं कर सकते हैं।


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