आज मैं आप सब को Dacoit Gabbar Singh की कहानी सुनाता हूं जिसे आज तक शायद ही जानते होंगे. आप सब ने आज से करीब 46 वर्ष पहले 15 Aug 1975 को पर्दे पर अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र द्वारा अभिनित फिल्म शोले आई थी जिसे आप लोगों ने देखी होगी अगर नहीं देखे हैं तो YouTube पर आप सब को मिल जायेगा जरूर देखिएगा.
नमस्कार दोस्तों हमारे इस सच्ची कहानी Web Page के नई कहानी में आपका स्वागत है मुझे उम्मीद है की आप इस कहनी से आप कुछ जरूर सकारात्मक चीज सिखेंगे और आपको हमारे द्वारा लिखी कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया आप निचे दी गई लाल वाली घंटी को जरूर दबाकर सब्सक्राइब करें.
इस फिल्म में हीरो से ज्यादा चर्चा और वहवाही किसी को मिला तो है विलेन गब्बर सिंह जिसके किरदार थे अमजद खान। इस फिल्म के राइटर सलीम खान थे सलीम खान के पिता DIG इंदौर के पद पर कार्यरत थे उन्हीं से जानकारी प्राप्त कर राइटर सलीम खान ने इस फिल्म को लिखे थें. इस फिल्म की कहानी तो चंबल की थी लेकिन इसकी शूटिंग बंगलौर के रामनगर जगह पर हुई थी, अब मैं डाकू गब्बर सिंह के बारे में निम्न बिंदु के माध्यम से बताऊंगा….
Dacoit Gabbar Singh शुरुवती जीवन
गब्बर सिंह का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में सन् 1926 ई० में मध्यप्रदेश के जिला भिंड के दांग गांव में हुआ था हष्ट-पुष्ठ होने वजह से घरेलू नाम गब्बरा था, बेहद गरीब होने के कारण यह पढ़ाई नहीं कर पाया और अपने पिता के साथ खेती बाड़ी करने लगा. सब कुछ सामान्य चल रहा था कि एक दिन इसके गांव और पंचायत के लोगों कुछ दबंग लोगों ने इसकी जमीन छीन ली और जमीन से बेदखल कर दिया,जिसके कारण इसके परिवार वाले भुखमरी के शिकार होने लगे तब गब्बरा ने लोगों का पॉकेट मारना, घरों में चोरी-डकैती कर अपने परिवार का पेट भरने लगा.
गब्बरा से Dacoit Gabbar Singh कैसे बना
एक दिन गब्बरा ने जिन लोगों ने इसकी जमीन छीनी थी उसका मर्डर कर दिया जिसके बाद पुलिस इसे ढूंढने लगी तो पुलिस की डर से गब्बरा ने चंबल का रुख कर लिया और वहां जाकर गुर्जर गैंग में शामिल हो गया और वहीं इसका नाम गब्बर सिंह लेकिन वहां ज्यादा दिन नहीं रहा और उसने अपना नया गैंग बनाया और अलग हो गया. गब्बर सिंह के माथे पर खून सवार गब्बर सिंह अपना नया गैंग बना चुका था.
लेकिन उसे एक डर था की कहीं पुलिस हमें पकड़ न लें इसी दरमियान गब्बर की मुलाकात एक ढोंगी से मुलाकात होती है और उस ढोंगी ने गब्बर को बताया की 116 लोगों का तुम अगर कान और नाक काटकर काली मां के चरणों में समर्पित करोगे तो तुम्हे कोई बाल बांका भी नहीं कर पाएगा, तभी से गब्बर सिंह ने जिसे भी पकड़ता उसका एक कान और नाक काट कर मां काली की चरणों में समर्पित कर देता लोगों में दशहत फैल गई लोग अपने घरों से निकलना बंद कर दिया, उसका डर चंबल के सीमावर्ती क्षेत्र राजस्थान,उत्तरप्रदेश का कुछ क्षेत्र भी बन गई थी.
Dacoit Gabbar Singh का खूनी खेल
Dacoit Gabbar Singh की एक आदत थी की उसे जिसपर शक हुआ की इसने पुलिस की मुखबिरी की है तो सीधे गोली मार देता था जिसके कारण लोग इसकी सूचना प्रशासन को नहीं देते थे. प्रशासन ने भी इसको पकड़ने के लिए कई टीम लगा कर अपना पैंतरा अजमा रही थी लेकिन कामयाबी नहीं मिलती थी,पहले जितने भी डकैत की गैंग थी वो अपना खाना पीना का इंतजाम पहाड़ी के सटे गांव में किया करते थे, गब्बर को बच्चों से प्यार था जब भी आता तो बच्चों के साथ कुछ समय बिताता था।
इधर पुलिस भी बच्चों से ही उसका आने जाने का समय जानने में लग गई जिसकी ख़बर गब्बर को मिल गई उसने आवेश में आकर गोहद विकासखंड में 21 बच्चों को गोली मार दिया पूरे भारत में इस घटना की चर्चा होने लगी इस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी थे उनकी आत्मा कांप उठी और उन्होंने ये फरमान जारी कर दिया की कौन है गब्बर सिंह खोजो उसे. इसके बाद मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कैलाश नाथ काटजू पर भी दबाव बढ़ने लगा.
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री का फरमान Positive
मुख्यमंत्री ने अपने प्रशासन को आदेश दिया की जिंदा या मुर्दा गब्बर को जितना जल्दी पकड़ो.मुख्यमंत्री के आदेश आने के बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और एक स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की टीम बनाया गया जिसके मुख्य अधिकारी खुसरो फारामर्ज़ रुस्तमजी थे उनके अंडर DSP राजेंद्र प्रसाद मोदी भी मुख्य अधिकारी के रूप में टीम को लीड कर रहे थे इधर प्रशासन ने गब्बर सिंह का पता बताने के लिए 50 हजार ईनाम की घोषणा की जो की उस समय किसी डाकू पर रखा गया ईनाम का रिकॉर्ड था बाद में राजस्थान सरकार भी गब्बर सिंह पर 50 हजार और उत्तरप्रदेश सरकार ने 10 हजार ईनाम घोषणा की जो कुल ईनाम राशि 1लाख 10 हजार हो गया.
Dacoit Gabbar Singh का एनकाउंटर
राजेंद्र प्रसाद मोदी ने अपनी यूनिट की अगुवाई कर रहे थे की एक दिन भिंड के पास वाले गांव में आग लग गई और उसमे एक परिवार का बच्चा घर के अंदर फस गया आग पूरे घर में फैल चुका था तभी उस परिवार और पूरे गांव के लिए फरिश्ता बनकर राजेंद्र प्रसाद मोदी आए और बच्चे को सकुशल बचा लिया इस घटना के बाद पूरी गांव वालों का पुलिस पर विश्वाश बढ़ गया और उन लोगों ने आश्वासन दिया कि हम लोग उसकी सूचना देंगे।
इस STF टीम के मुख्य अधिकारी खुसरो फारामर्ज़ रुस्तमजी ने माननीय प्रधानमंत्री को फोन कर ये सूचना दिया की गब्बर सिंह की मौत हो चुकी है इसे आप अपने जन्मदिन का उपहार समझकर स्वीकार करें.