Mother Son Story: माँ-बेटे की सफलता की कहानी-1

Mother Son Story: आज की कहानी उन लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में हार मान ली हो उन लोगों को यह प्रेरणात्मक कहानी जरूर पढ़नी चाहिए और कभी भी जीवन में हार नहीं माननी चाहिए लगातर सार्थक परिश्रम करनी चाहिए।

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Motivational Story In Hindi (माँ-बेटे की सफलता की कहानी)

Motivational Story In Hindi
बिंदु और विवेक

यह सफलता की कहानी केरल (Kerala) के मलप्पुरम (Malappuram) में एक मां-बेटे की है जिन्होंने अपने लगन और परिश्रम से एक साथ राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission) पीसीएस (PCS) की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है और लोगों की प्रेरणा बन गए हैं।

42 वर्षीय मां बिंदु पिछले 10 वर्षों से आंगनवाड़ी में सेविका के पद पर कार्यरत हैं इन्होंने Last Grade Servents की परीक्षा में 92 रैंक प्राप्त कीं हैं। वहीं इनके (बिंदु) बेटे विवेक जो की 24 साल के हैं इन्होंने ने Lower Division Clerk परीक्षा में 38वीं रैंक हासिल किया है।

मां-बेटे इस सफल जोड़ी ने पूरे देश में आज चर्चा का विषय बना हुआ है। बिंदु और विवेक का कहना है कि हमें उम्मीद हीं नहीं थी की दोनों इस परीक्षा में एक साथ सफल होंगें। 

Mother Son Story

बेटे विवेक ने बताया कि मैंने और मां ने एक साथ कोचिंग क्लास किया। मेरी मां मुझे यहां लेकर आई और पढ़ाई का अच्छा माहौल बनाया। इसमें हमारे शिक्षकों ने हमें काफी कुछ सिखाया। हम दोनों साथ-साथ कोचिंग गए, पढ़ाई की लेकिन हमने कभी भी यह नहीं सोचा था कि हमें एक साथ सक्सेस मिलेगी।

सार्थक परिश्रम का फल (Motivatinal Story Short)

एक मीडिया हाउस से बातचीत में मां बिंदू ने बताया कि इससे पहले उन्होंने तीन बार एग्जाम दिया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने दो बार एलजीएस और एक बार एलडीसी का एग्जाम दिया था। यह चौथा अटेम्प्ट था, जब उन्हें सफलता मिली। तीन बार असलफता से उन्होंने सीखा और अब उनका यह रिजल्ट सबके सामने है।


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बिंदु ने (Motivational Stories Of A Women) बताया कि उन्होंने पढ़ाई की शुरुआत बेटे को प्रोत्साहिस करने के लिए किया था लेकिन उन्हें खुद प्रेरणा मिलने लगी और फिर उन्होंने कोचिंग में एडमिशन करा लिया। बेटे का ग्रेजुएशन जब कंप्लीट हुआ तो उसे भी कोचिंग ले गई और साथ-साथ तैयारी करने लगीं।

युवाओं से अपील (Motivational Stories For Students In Hindi)

Motivational Stories For Students In Hindi: आंगनबाड़ी शिक्षिका और 42 साल की बिंदू ने जीत का मंत्र देते हुए तैयारी कर रहे युवाओं से कहा कि बार-बार असफलताओं के बावजूद भी मेहनत करना न छोड़ें क्योंकि यही एक दिन कामयाबी दिलाती है। मेरे से बड़ा उदाहरण क्या होगा इसका। उन्होंने कहा कि मैं इस बात की अच्छी मिसाल हूं कि पीएससी परीक्षा के अभ्यर्थी को क्या होना चाहिए और क्या नहीं।

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इसका मतलब यह है कि मैं लगातार पढ़ाई नहीं करती। जब एग्जाम की तारीख घोषित होती तो 6 महीने पहले ही पढ़ाई शुरू करती। एग्जाम खत्म होने के बाद ब्रेक लेती थी। शायद यही कारण रहा कि मैं बार-बार असफल होती रही। इसलिए कभी भी सफलत होने तक रूके नहीं, कामयाबी जरूर मिलेगी।

नोट:- ऐसे हीं प्रेरणात्मक कहानी पढ़ने के लिए आप हमारे वेब पेज पर जरुर आते रहें धन्यवाद.

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