Deepawali Puja 2021 हिन्दू धर्म में महत्तवपूर्ण पर्व में से एक है दीपावली पूजा में लोग अपने घरों को दिए और लाईट से सजाते हैं जब रात के अंधेरे में ये जब जगमग करती है तो मनमोहक दृश्य देखकर मन प्रफुलित हो उठता है आइए जानते हैं कि इस बार Diwali Puja का शुभ मुहूर्त और समय सारणी क्या है…
When Did It Start Diwali ? (दिवाली की शुरुआत कब हुई थी?)
भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं और देश का वो हर पर्व चाहे जिस भी धर्म का हो सभी धर्म के लोग मानते हैं भले हीं उनका नाम और मानने का समय अलग है लेकिन मानते जरूर हैं। हिंदू धर्म में दीवाली कहा जाता है, मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिवाली हीं कहते हैं, सिक्ख धर्म के मानने वाले लोग बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं और जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि दिवाली की शुरुआत जब भगवान श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काट कर और लंका पति रावण को परास्त कर जब अयोध्या लौटे थे तो उनके स्वागत में अयोध्या वासियों ने अपने घरों के बाहर दरवाजा पर घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया गया था। कार्तिक मास के अमावस्या की वो काली रात दीयों की रोशनी से जगमगा उठा. तब से हीं कार्तिक मास के अमावस्या के दिन लोग अपने घरों के सामने दिए जलाने लगे और इसी दिन को दिवाली कहा जाने लगा।
दीपावली शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई और दीपावली का अर्थ क्या होता है ?
दीपावली शब्द की उत्पति संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है दीप+आवली दीप अर्थात् दिया और आवली अर्थात् क्रमबद्ध या श्रृंखला होता है।
Diwali Puja Shubh Muhurt। (दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त)
Diwali Puja Shubh Muhurt 2021: इसबार 2021 में दिवाली 04 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा शुभ मुहूर्त 04 नवंबर को सुबह 06:03 मिनट से 05 नवंबर 02: 44 मिनट तक है।
Lakshmi Puja Muhurt (लक्ष्मी पूजन मुहूर्त)
Lakshmi Puja Muhurt: 04 नवम्बर 2021 को लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त शाम 06 बजकर 09 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट तक है जबकि प्रदोष काल 17:34:09 से 20:10:27 तक और
वृषभ काल 18:10:29 से 20:06:20 तक रहेगा।
Maa Lakshmi Puja Mantra (मां लक्ष्मी पूजन मंत्र)
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण अवश्य करें…
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्